Saturday, July 30, 2016

Yagyonpaveeta Dharana Vidhi

Light a deepam and decorate it by applying kumkum at 3 places.

प्रार्थना -

शुक्लाम भरधरं विष्णुम - शशिवर्णम चतुर्भुजं । 
प्रसन्न वदनं ध्यायेत - सर्व विघ्नोप शान्तये ॥ 

आचम्या  

ॐ केशवाय स्वाहा                (Sip water from panchapaatra / uddharni)
ॐ नारायणाय स्वाहा             (Sip water from panchapaatra / uddharni)
ॐ माधवाय स्वाहा                 (Sip water from panchapaatra / uddharni)

ॐ गोविन्दाय नमः 
ॐ विष्णवे नमः 
ॐ मधुसूदनाय नमः 
ॐ त्रिवृक्रमाय नमः 
ॐ वामनाय नमः 
ॐ श्रीधराय नमः 
ॐ हृषिकेशाय नमः 
ॐ पद्मनाभाय नमः 
ॐ दामोदराय नमः 
ॐ संकर्षणाय नमः 
ॐ वासुदेवाय नमः 
ॐ प्रध्युमनाय नमः 
ॐ अनिरुद्धाय नमः 
ॐ पुरुषोत्तमायै नमः 
ॐ अधोक्षजाय नमः 
ॐ नारसिंहाय नमः 
ॐ अच्युताय नमः 
ॐ जनार्धनाय नमः 
ॐ उपेन्द्राय नमः 
ॐ हरये नमः 
ॐ श्री कृष्णाय नमः 

आसन शुद्धि  –

उत्तिष्ठन्तु भूत पिशाचः एते भूमि भारकः  । 
एते शामा विरोधेना ब्रह्म कर्म समारभे  ॥ 

प्राणायामं  –

(Hold your nose with Ring + middle fingers and Thumb and recite)

ॐ भूहु   । ॐ भुवः । ओ गम सुवः । ॐ महः । 
ॐ जनः । ॐ तपः । ओ गम सत्यम । ॐ तत्स वितुर वरेण्यं । 
भर्गो देवस्य धीमहि, धि योयोनः प्रचोदयात । 
ओ मापो ज्योति रसोमृतं ब्रह्म भूर्भु वस्सुवरोम ॥ 
(Release the hand from nose)

संकल्पम  –

ममोपात्त दुरितक्षय द्वारा श्री परमेश्वर प्रीत्यर्धम 
शुभे शोभने मुहूर्ते श्री महा विष्णोर आज्ञाय 
प्रवर्त मानस्य आद्य ब्राह्मणः द्वितीय परार्थे श्वेत वराह कल्पे 
वैवस्वत मन्वन्तरे कलियुगे प्रथम पादे जम्बू द्वीपे 
भरतवर्षे भरतखण्डे अस्मिन वर्तमान व्यवहारिक चंद्रमानेन  …

(Name of the year) नामा संवत्सरे,      Vilambi (2018),  
(Name of the aayanam) आयने,        (Uttaraayan / Dakshinaayan)
(Name of the rithu) ऋतौ,                 (Vasanth/ Greeshma/ VarshaSharad/ Hemanth/ Shishir)
(Name of the month) मासे,               (Chaitra, Vaishaka, Jyeshta, Aashada, Sraavana, etc.)
(Name of the paksha) पक्षे,               (Shuklapaksh/ Krishnapaksh)
(Name of the thithi) तिथौ,                (Paadyami, Vidiya, Tadiya, Chaviti,... Pournamyam, etc.)
(Name of the day) वासरे,                 (Sunday - Bhanu/ Monday - Indu/ Tues - Bhouma/ Wednes - Soumya/ Thurs -Guru/ Fri - Bhrugu/ Saturday - Sthira) 

शुभ नक्षत्रे शुभ योगे शुभ करण एवं गुण विशेषण विशिष्टायाम शुभ तिथौ  …

श्रीमान (Name of Gotram) गोत्रस्य, (Name of self) नामधेयस्य, (if married) धर्मपत्नी समेतस्य (repeat 3 times)

ममोपात्त दुरितक्षय द्वारा श्री परमेष्वर प्रीत्यर्धम आयुष्याभि वृद्धिअर्थम्  
मम श्रौत स्मार्थ नित्य कर्मानुष्ठान योग्यता फल सिध्यर्थं नूतन यज्ञोंपवीत धारणं करिष्ये ॥  
(Dip your right hand middle finger in Panchapatra)

(New Yagnopaveetham should be purified with turmeric paste or kumkum) 

यज्ञोंपवीते तस्य मंत्रस्य परमेष्टि परब्रह्मर्षि परब्रह्म देवता। 
देवी गायत्री च्छंदः यज्ञोंपवीता धारणे विनियोगः ॥  

(Wear Yagnopaveetham one set of threads after another reciting the following manthra.
While wearing Yagnopaveetham it should be held with both hands, the knot in the Yagnopaveetham being held above the head by the right hand facing upwards.)

यज्ञोंपवीत धारण मंत्र -

यज्ञोंपवीतम परमम् पवित्रं, प्रजापतेर्यत सहजम पुरस्तात ।
आयुष्य मग्रयं प्रतिमुंच शुभ्रम, यज्ञोंपवीतम बलमस्तु तेजः ॥ 

(In case of Brahmachari only one Yagnopaveetham is prescribed.)

Grihastha should wear a second one after performing Aachamanam ( केशवाय स्वाहा, नारायणाय स्वाहा, . . . . . ) and reciting the Sankalpa as,

मम गृहस्थाश्रम योग्यता सिध्यर्थं द्वितीय यज्ञोंपवीत धारणं करिष्ये । 

The second yagyonpaveetha should be worn in the same manner as the first one by holding the thread above the head and reciting the यज्ञोंपवीत धारण मंत्र.

Further, Grihastha should wear a third one in similar manner after performing Aachamanam with the following sankalpa :

मम उत्तरीयार्धम तृतीय यज्ञोंपवीत धारणं करिष्ये । 

and then recite once again the यज्ञोंपवीत धारण मंत्र.

Yagnopaveethams should be worn one by one as said above and every time Aachamanam should be performed.

If the yagyonpaveetahm has five set of threads, the fourth and fifth threads should be worn one after another by performing Aachamanam and Sankalpa as, 

चतुर्थ /  पंचम यज्ञोंपवीत धारणं करिष्ये । 

गायत्री मंत्र पठनं :

Hold the knots of both the old and new yagyonpaveetham together in the right hand and recite the following mantra:
गायत्री वेद मातसी सूत्र रूपेण दिष्टसि,
पूर्व सूत्र गतं तेजा नूतने स्थापयाम्यहम ।  

Do the japa of Gayatri mantra 10 times holding together the knots of both the old and new yagyonpaveetham.


                                      ॐ भूर्भु वस्सुवः तत सवितुर वरेण्यम भर्गो देवस्य धीमहि धियोयोनः प्रचोदयात। 

यज्ञोंपवीत विसर्जन मंत्र :



Remove the old Yagyopaveetham from below the navel without touching the feet (it should not be removed from above the neck) by reciting the following mantra,
उपवीतं भिन्न ( छिन्न ) तन्तुम जीर्णम कश्मल दूषितं , 
विसृजामि जले ब्रम्ह वर्चो दीर्घायु रस्तुमे । 

(Old Yagnopaveetham should be dropped into water or placed on a Tree and should not be thrown into garbage)

Finally, perform Aachamanam one more time.







Tuesday, May 31, 2016

Naivedyam Mantram

नैवेद्यं मंत्र 

As a part of the puja ritual, we offer prasad/ naivedyam to God. While offering the naivedyam, the following mantra should be recited:

ॐ  भूर्भु -वस्सुवः तत्सवितुर वरेण्यम् 
भर्गो-देवस्य धीमहि धियो-योनः प्रचोदयात्

(Sprinkle water with flower on the naivedyam in clock-wise direction while reciting the following mantra)
सत्यम वर्तेन परिशिंचियामी (during day-time, before sunset)
रुतम त्वा सत्येन परिशिंचियामी (during night-time, after sunset)
अमृतमस्तु अमृतो पस्तरणमसि

(Show the naivedyam to God 5 times while reciting the following mantra)
ॐ प्राणाय  स्वः 
ॐ अपानाय स्वः
ॐ व्यानाय स्वः
ॐ उदानाय स्वः
ॐ समानाय स्वः

____ देवी/देवताभ्यो नमः
नारिकेला (coconut)/ कदलीफला (banana)/ काश्मीरफला (apple)/ क्षीरम् (milk)/ क्षीरान्नम् (paayasam/ kheer)/ चित्रान्नम (pulihora/ tamarind or lemon rice)/ कलकंदा (sugar candy)/ गूढशकला (jaggery)   नैवेद्यं समर्पयामि

मध्ये-मध्ये पानीयं समर्पयामि

Example :
श्री लक्ष्मी-वेंकटेश्वर देवताभ्यो नमः 
नारिकेला/कदलीफला/क्षीरम् नैवेद्यं समर्पयामि
मध्ये-मध्ये पानीयं समर्पयामि

Sprinkle water in anti-clockwise direction around the naivedyam with the following mantra
अमृतापि धानमसि
उत्तरा-पोषनं समर्पयामि

Sprinkle water on the deity/plate with flower chanting the following mantra
हस्तौ-प्रक्षालयामि, पादौ-प्रक्षालयामि
मुखे शुध्द-आचमन्यम समर्पयामि। 

Sunday, May 22, 2016

Ganapati Mantram

गणपति मन्त्रम् 



ॐ गणानां त्वा गणपति गं हवामहे,
कविं कवीनां उपमशृ वस्तमम् ।
ज्येष्ठ राजं ब्रह्मणाम् ब्रह्मणस्पत ,
आ नः शृण्वन्नूति भिस्सीद सादनम् ॥
॥ ॐ महागणपतये नमः ॥

शुक्लांबरधरं विष्णुं शशि वर्णम् चतुर्भुजं ।
प्रसन्न वदनं ध्यायेत सर्व विघ्नोप शान्तये ॥

अगजानन पद्मारकं गजानन महर्निशम् ।
अनेकदम त्वम् भक्तानां एकदन्तम उपास्महे ॥

वक्रतुंड महाकाय कोटि सूर्य सम प्रभा ।
निर्विघ्नम कुरुमे देवा सर्व कार्येषु सर्वदा ॥

सुमुखैश्च एकदंतैश्च कपिलो गजकर्णका ,
लम्बोदरश्च विकटो विघ्नराजो विनायका ।
धूमकेतुर गणाध्यक्षा फालचन्द्रो गजानना ,
वक्रतुंडा शूर्पकर्णा हेरंभा स्कन्द पूर्वजा ॥
षोडशैतानि नामानि यः पठेत श्रुणु यादपि ,
विद्यारम्भे विवाहेचा प्रवेशे निर्गमे तधा ॥
संग्रामे सर्वकार्येषु विघ्नस्तस्य नजायते ॥

एकदन्ताय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि ।
तन्नो दन्ती प्रचोदयात ॥